@ 2016 बस यादेँ सिर्फ यादेँ....................
जिन मुश्किलों में मुस्कुराना था मना,
उन मुश्किलों में मुस्कुराते हम रहे,
जिन रास्तों की थी नहीं मंजिल कोई,
उन रास्तों पे हम मगर चलते रहे,
जिस दर्द को दरकार थी आंसुओं की,
उस दर्द में आंसू हमारे ना बहे,
जो ख़्वाब रूठे थे हमारी जिंदगी से,
वो ख़्वाब आँखों में मगर पलते रहे,
मुंह मोड़ के रिश्ते हमारे चल पड़े,
यादों में उनकी हम मगर जीते रहे,
आते रहे तूफ़ान हमको लीलने को,
हम मगर लहरों के संग लड़ते रहे.................
::::::::: नितिश श्रीवास्तव ::::::::
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