@ 2016 बस यादेँ सिर्फ यादेँ................
पापा जिन्दा है,
अमर है मेरे खून में
मेरे शरीर के लाल तिलो में,
मेरे माथे की लकीरो में,
मेरे गले के रुद्राक्ष में,
मेरी आवाज में,
मेरी सोच में,
मेरे शरारतो में,
मेरी स्मृतियों के आँगन में,
मेरी उम्र के हर वर्षगांठ में,
मेरे भाइयो में,
मेरी बुआ की टँगी रखियो में,
मेरे चाचा की खामोश नजरो में,
मेरी अम्मा की अथाह ममता में,
पापा अमर है....
नितिश श्रीवास्तव
उ०प्र०, इलाहाबाद
आपका हार्दिक धन्यवाद आदरणीय
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