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Wednesday, 19 July 2017

अगर रख सको तो एक निशानी हूँ मैं........

अगर रख सको तो एक निशानी हूँ मैं,
खो दो तो सिर्फ एक कहानी हूँ मैं............



देखा है जिन्दगी को.......

देखा है जिन्दगी को कुछ इस करीब से,
चेहरे तमाम लगने लगे हैं अजीब से.............
नितिश श्रीवास्तव
उ०प्र०, इलाहाबाद