“I'm already crazy. I'm a fearless person. I think it creeps up on you. I don't think it can be stopped. If my destiny is to lose my mind because of fame, then that's my destiny. But my passion still means more than anything.”
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Tuesday, 11 June 2013
सूरज की नन्हीं किरणें
@ 2013 बस यादें सिर्फ यादें ...............
सूरज की नन्हीं किरणें
चुपके से उतर आईं हैं घर के अंदर
और खेल रहीं हैं छुपनछुपाई
खुशी से खुल गईं हैं खिड़कियाँ
हवा की शुद्धता हृदय में घुल रही हैं
ये सुबह तुम्हारी है।
खेतों की तरफ़ जा रहे हैं किसान
गाँव त्यौहार की तैयारी कर रहा है
कारखानों की तरफ़ बढ़ रहे हैं मज़दूर
चूल्हों के पास
अगले दिन की रोटी का इंतज़ाम है
टहल कर घर लौट रहे हैं पिताजी
घर में गूँज रहा है जीवन संगीत
ये सुबह तुम्हारी है।
दस्तक दे रहा है अख़बार
मुस्करा रहा है पहली बार
आज उसके अंदर
बुरा कम अच्छा ज़्यादा है
ये सुबह तुम्हारी है
कलम के आस-पास जुटे हुए हैं अक्षर
वर्षों बाद आग्रह कर रहे हैं
एक प्रेम कविता की
एक लड़की
पृथ्वी की तरह नज़र आ रही है
और उसकी परिधि पर बैठा कबूतर
गुटर गूं कर रहा है .....................
::::::::::::नितीश श्रीवास्तव :::::::::::::
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सुखद आभास कराती सुन्दर रचना!
ReplyDeleteबधाई हो।
रोज एक पोस्ट डालते रहो ब्लॉग पर।
लोग आपको पहचानने लगेंगे...!
dhanyavad aapka bahut bahut aabhaar.......................
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज बुधवार (12-06-2013) को बुधवारीय चर्चा --- अनवरत चलती यह यात्रा बारिश के रंगों में "मयंक का कोना" पर भी है!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुन्दर और सार्थक प्रस्तुती,आभार.
ReplyDeleteउत्तम अभिव्यक्ति...
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ReplyDeleteअच्छी छुपम -छपाई
सुन्दर रचना!
बहुत प्रभावी ... भोर के केनवस के साथ प्रेम के रंगों का लाजवाब समिश्रण ...
ReplyDeleteइस कविता के भाव, लय और अर्थ काफ़ी पसंद आए। बिल्कुल नए अंदाज़ में आपने एक भावपूरित रचना लिखी है।
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