@ 2009 बस यादें सिर्फ यादें ...................
मैं कहाँ लिखता हु ,
लिखते तो है अलफ़ाज़ मेरे,
मायने ढूद ही लेते है,
जर्रा नवाज मेरे,
लाल स्याही के लिए हमने निचोड़ा खुदको,
दिल के टुकड़े भी चीख के दे रहे आवाज़ मेरे,
::::::::::::नितीश श्रीवास्तव :::::::::::::
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDelete--
एक कवि की कविता है वो
यह पोस्ट कहाँ गई आपकी
ये मैसेज आ रहा है।
Sorry, the page you were looking for in this blog does not exist.
कृपया इसे लगाइए ना।
चर्चा मंच पर लोग शिकायत कर रहे हैं।
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अपने ब्लॉग को हमारी वाणी से भी जोड़ दीजिए।
ReplyDeleteज्यादा लोग पढ़ेंगे और कमेंट भी आयेंगे।
kaise...............
ReplyDeletehttp://hamarivani.com/
ReplyDeleteयहाँ अपना एकाउंट बना लीजिए।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज बृहस्पतिवार (06-06-2013) को साहित्य में प्रदूषण ( चर्चा - 1267 ) में "मयंक का कोना" पर भी है!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'