“I'm already crazy. I'm a fearless person. I think it creeps up on you. I don't think it can be stopped. If my destiny is to lose my mind because of fame, then that's my destiny. But my passion still means more than anything.”
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Sunday, 23 June 2013
विरह अगन सी तपन कहाँ है, दुनिया भर की आगों में,
@ 2013 बस यादें सिर्फ यादें ...............
विरह अगन सी तपन कहाँ है, दुनिया भर की आगों में,
पिरो लिए कंचन से मोती, प्यार के पक्के धागों में,
भीग रही है धरती सारी, छलक रही इन बूँदों से,
तुम कहते हो आँख के आंसू, सूख गये सब यादों में.
या तो इस मौसम से कह दो, इतना मत हैरान करो,
या कि तुम खुद ही आ जाओ, इस दिल पर अहसान करो,
अब तक मैने जीवन काटा, निविड़ मावसी रातों सा,
मेरी राहें रोशन कर दो, जीना कुछ आसान करो.
सोच रहा हूँ आखिर कब तक, तन्हाई को सहना है
मेरी आँखें सब कहती हैं, मुझे नहीं कुछ कहना है,
साँस मेरी है चलती जाती, केवल इक इस आशा में,
एक दिवस पत्थर पिघलेगा, मुझको जिन्दा रहना है.........................
::::::::::::नितीश श्रीवास्तव :::::::::::::
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वियोग श्रंगार की बहुत सुन्दर रचना पेश की है आपने, जो जीवन में आशा का संचार करती है।
ReplyDeleteशुभकामनाएँ..!
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ReplyDeleteबहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत उम्दा
ReplyDeleteआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार २५ /६ /१३ को चर्चा मंच में राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां हार्दिक स्वागत है ।
ReplyDeleteविरह का बहुत ही मर्मिक वर्णन किया है..
ReplyDeleteग़ज़ब की कविता ... कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है
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