@ 2009 बस यादें सिर्फ यादें ...................
कुछ बातें है उन लम्हों की
जिन लम्हों में वो आदरणीय रहे
खुशियों से भरे जज्बात रहे
एक उम्र गुजारी है हमने
जहाँ रोते हुए भी हस्ते थे
कुछ कहते थे कुछ सुनते थे
हम रोज सुबह जब मिलते थे
तो सबके चेहरे खिलते थे
फिर लुफ्त वो मंजर होता था
फिर मिलकर सब बातें करते थे
हम सोचो कितना हस्ते थे
वो गूंज हमारे हसने की
उनके जाने के बाद
अब जैसे थम सी गयी है
कोई साया रहा न सिर पर
उनकी कमी हमें आज भी खलती है
अब एक पुरानी याद बनी
ये बातें है उन लम्हों की
जिन लम्हों में वो आदरणीय रहे..................
::::::::::::नितीश श्रीवास्तव :::::::::::::
जिन लम्हों में वो आदरणीय रहे
खुशियों से भरे जज्बात रहे
एक उम्र गुजारी है हमने
जहाँ रोते हुए भी हस्ते थे
कुछ कहते थे कुछ सुनते थे
हम रोज सुबह जब मिलते थे
तो सबके चेहरे खिलते थे
फिर लुफ्त वो मंजर होता था
फिर मिलकर सब बातें करते थे
हम सोचो कितना हस्ते थे
वो गूंज हमारे हसने की
उनके जाने के बाद
अब जैसे थम सी गयी है
कोई साया रहा न सिर पर
उनकी कमी हमें आज भी खलती है
अब एक पुरानी याद बनी
ये बातें है उन लम्हों की
जिन लम्हों में वो आदरणीय रहे..................
::::::::::::नितीश श्रीवास्तव :::::::::::::
सुन्दर अभिव्यक्ति...!
ReplyDeleteआभार...!
बहुत बहुत धन्यवाद आप सब का .............
ReplyDeleteसुंदर भाव....
ReplyDeleteकिस खूबसूरती से लिखा है आपने। मुँह से वाह निकल गया पढते ही।
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