@ 2013 बस यादें सिर्फ यादें ...............
मिलना होता तो वो बिछडता क्यो,
रात शक्की मिजाज थी वरना,
चाँदनी का नगर उजडता क्यो,
मिलना होता तो वो बिछडता क्यो,
दोस्ती टूटने का रंज ना कर,
जड जो होती तो पेड उखडता क्यो,
मिलना होता तो वो बिछडता क्यो,
था वो पत्थर हवा से झुक ना सका,
फूल होता तो जिद पे अडता क्यो,
मिलना होता तो वो बिछडता क्यो,
आबरू का सवाल था वरना,
एक तिनका हवा से लडता क्यो,
मिलना होता तो वो बिछडता क्यो............
::::::::::::नितीश श्रीवास्तव :::::::::::::
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