@ 2013 बस यादें सिर्फ यादें ...............
तुने जो ना कहा,
मै वो सुनता रहा,
खाम खा बेवजह,
खवाब बुनता रहा,
जाने किसकी हमे लग गयी है नजर,
इस शहर मे ना अपना ठिकाना रहा,
पूरी चाहत से मै अपनी चलता रहा,
खाम खा बेवजह
ख्वाब बुनता रहा,
दर्द पहले से है ज्यादा,
खुद से फिर ये किया वादा,
खामोश नजरे रहे बेजुबान,
अब ना फिर ऐसी बाते है,
बोलो तो लब थरथराते है,
राज ये दिल का ना हो ब्यान,
हो गया के असर कोई हमपे नहीं,
हम सफर में तो है हम सफर है नहीं,
दूर जाता रहा पास आता रहा,
खाम खा बेवजह ख्वाब बुनता रहा,
आया वो फिर नजर ऐसे,
बात छिडने लगी फिर से,
आखों में चुभता कल का घुआँ,
हाल तेरा ना हमसा है,
इस खुशी में क्यो गम सा है,
बसने लगा क्यो फिर वो जहान,
वो जहान दूर जिससे गये थे निकल,
फिर से आखों में करती है जैसे पहल,
लमहा बिता हुआ दिल दुखाता रहा,
बुझ गयी आग थी दाग जलता रहा,
खाम खा बेवजह ख्वाब बुनता रहा....
::::::::::::नितीश श्रीवास्तव :::::::::::::
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