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Friday 23 August 2013

यूं अक्सर बीत रहा ज़िंदगी का सफर















@ 2013 बस यादें सिर्फ यादें ...............
यूं अक्सर बीत रहा ज़िंदगी का सफर
बचपन मे बड़े होने का खवाब,
और फिर बुढापे की नज़र हम पर,
यूं अक्सर बीत रहा ज़िंदगी का सफर
स्कूल से कॉलेज जाने की आरजू मे,
और फिर सुनने को बेताब नौकरी की खबर,
यूं अक्सर बीत रहा ज़िंदगी का सफर
कभी तमन्ना थी सागर को निहारने की पास से,
और फिर बेबस हो जाती ज़िंदगी बन के सागर की लहर,
यूं अक्सर बीत रहा ज़िंदगी का सफर
कभी दिन गुजते थे गाओं से निकलने की कश्मोकश मैं
और फिर हमे अपनी झूठी रोशनी मैं बाँध देता ये शहर,
यूं अक्सर बीत रहा ज़िंदगी का सफर......................
::::::::::::नितीश श्रीवास्तव :::::::::::::

3 comments:

  1. सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति. कमाल का शब्द सँयोजन
    कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
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