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Thursday 22 August 2013

अनमोल तेरा जीवन
















@ 2013 बस यादें सिर्फ यादें ...............
अनमोल तेरा जीवन,
यूही गवाँ रहा है,
किस ओर तेरी मजिल,
किस ओर जा रहा है,
सपनो की नींद मे ही,
यह रात ढल ना जाये,
पल भर का क्या भरोसा,
कहीं जान निकल ना जाये,
गिनती की है ये साँसे,
यूँही लुटा रहा है,
ममता के बन्घनो ने,
क्यों आज तुझको घेरा,
सुख मे सभी है साथी,
कोई नहीं है तेरा,
तेरा ही मोह तुझको,
कब से रूला रहा है,
जब तक है भेद मन में,
भगवान से जुदा है,
खोलो जो दिल का दर्पण,
इस घर में ही खुदा है,
सुख रूप हो के भी तू,
दुख आज पा रहा है,
जायेगा जब यहाँ से,
कोई ना साथ देगा,
इस हाथ जो लिया है,
उस हाथ जा के देगा,
कर्मो की है ये खेती,
फल आज पा रहा है,
अनमोल तेरा जीवन,
यूही गवाँ रहा है..........
::::::::::::नितीश श्रीवास्तव :::::::::::::

3 comments:

  1. This comment has been removed by the author.

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा - शुक्रवार, 23/08/2013 को
    जनभाषा हिंदी बने.- हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः4 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर .... Darshan jangra


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