वो रस,छन्द,अलंकार से भरी महिमा है
वो कभी कहती है तो कभी रूठती है तो कभी मनाती है
वोशांत निर्मल सी वो मुझे लगती है हसती है तो दिल मुस्कुराता है
कवि की रूपहली उज्ज्वल सुहास है
वो कविता की बानगी,अजब निराली प्यारी लड़की
को कविता लिख के कविता गाके कविता-कविता करता हू
कविता,कविता,कविता और कविता….….
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बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!
ReplyDeleteआप लिखते रहिए..!
ReplyDeleteलोग आपको पहचानने लगेंगे!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल बुधवार (05-06-2013) के "योगदान" चर्चा मंचःअंक-1266 पर भी होगी!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
ReplyDeleteबहुत खूब वाह प्रेम का सुंदर अहसास
आग्रह है
गुलमोहर------
हिन्दी ब्लॉगजगत के स्नेही परिवार में इस नये ब्लॉग का और आपका मैं संजय भास्कर हार्दिक स्वागत करता हूँ.
ReplyDeleteकिस खूबसूरती से लिखा है आपने। मुँह से वाह निकल गया पढते ही।
ReplyDeleteसंजय भास्कर
शब्दों की मुस्कुराहट
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
बहुत बहुत धन्यवाद संजय भास्कर जी आप सब का बहुत बहुत आभारी हु ...................
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