“I'm already crazy. I'm a fearless person. I think it creeps up on you. I don't think it can be stopped. If my destiny is to lose my mind because of fame, then that's my destiny. But my passion still means more than anything.”
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Sunday, 9 June 2013
सागर तट पर खड़ा किन्तु मैं प्यासा का प्यासा
@ 2013 बस यादें सिर्फ यादें ...............
साथियों ..
सागर तट पर खड़ा किन्तु मैं प्यासा का प्यासा ,
लहराती है जलराशि अपार नित नयनो के आगे,
मन में विचार अनगिनती उसको देख देख जागे,
कैसी यह रही बिषमता जीवन जीवन बीच घनी,
एक डाह ह्रदय की जला चुकी अधरों की अभिलाषा,
सागर तट पर खड़ा किन्तु मैं प्यासा का प्यासा,
कितना अपकार भरा जग अर्पित जिसको प्राण किये,
रिसने वाले नित घाव मर्म में उसने बहुत दिए,
अपमानित होते फिरे मूल्य नैतिकता के प्रतिदिन,
बैठा जो आँखें मूंदे पढ़े क्या नयनो की भाषा ?
सागर तट पर खड़ा किन्तु मैं प्यासा का प्यासा,
नकली निकले सब रत्न यत्न सब गए अकारथ ही,
घिरा कौरवो के बीच चकित है युग का अभिमन्यु भी,
दया दिखाने जो भी आये विष और घोल गए,
स्वयं धधक जो रही दिशाएं करू उनसे क्या आशा,
सागर तट पर खड़ा किन्तु मैं प्यासा का प्यासा............
::::::::::::नितीश श्रीवास्तव :::::::::::::
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बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज सोमवार (10-06-2013) को सबकी गुज़ारिश :चर्चामंच 1271 में "मयंक का कोना" पर भी है!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeletevisit to
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http://hindibloger.blogspot.in/
bahut bahut abhar aap sabka ........................
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