@ 2013 बस यादें सिर्फ यादें ...............
मौत जिन्दगी से कितनी बेहतर है,
जिन्दा थे तो किसी ने पास बिठाया नहीं,
अब खुद मेरे चारो ओर बैठे जा रहे है,
पहले कभी किसी ने मेरा हाल ना पूछा,
अब सभी आंसू बहाये जा रहे है,
एक रूमाल भी भेंट नही किया जब हम जिन्दा थे,
अब शॉले और कपडे ओढाये जा रहे है,
सबको पता है शॉले और कपडे इसके काम के नहीं है,
मगर फिर भी बेचारे दुनियादारी निभाये जा रहे है,
कभी किसी ने एक वक्त का खाना तक नही खिलाया,
अब देसी घी मेरे मुँह मे डाले जा रहे है,
जिन्दगी मे एक कदम भी ना साथ चल सका कोई,
अब फूलो से सजाकर कन्घो पर उठाये जा रहे है....................
::::::::::::नितीश श्रीवास्तव ::::::::::::: जिन्दा थे तो किसी ने पास बिठाया नहीं,
अब खुद मेरे चारो ओर बैठे जा रहे है,
पहले कभी किसी ने मेरा हाल ना पूछा,
अब सभी आंसू बहाये जा रहे है,
एक रूमाल भी भेंट नही किया जब हम जिन्दा थे,
अब शॉले और कपडे ओढाये जा रहे है,
सबको पता है शॉले और कपडे इसके काम के नहीं है,
मगर फिर भी बेचारे दुनियादारी निभाये जा रहे है,
कभी किसी ने एक वक्त का खाना तक नही खिलाया,
अब देसी घी मेरे मुँह मे डाले जा रहे है,
जिन्दगी मे एक कदम भी ना साथ चल सका कोई,
अब फूलो से सजाकर कन्घो पर उठाये जा रहे है....................
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