@ 2013 बस यादें सिर्फ यादें ...............
दिल के उजले कागज पर हम कैसे गीत लिखे,
बोलो तुमको गैर लिखे या अपना मीत लिखे,
नीले अम्बर की अगनाई मे तारो के फूल,
मेरे प्यासे होठो पर है अंगारो के फूल,
इन फूलो को आखिर अपनी हार या जीत लिखे,
कोई पुराना सपना दे दो और कुछ मीठे बोल,
लेकर हम निकले है अपनी आखो के कश खोल,
हम बंजारे प्रीत के मारे क्या संगीत लिखे,
शाम खडी है एक चमेली के प्याले मे शबनम,
जमुना जी की उंगली पकडे खेल रहा है मघुबन,
ऐसे में गंगा जल से राघा कि प्रीत लिखे......................
::::::::::::नितीश श्रीवास्तव ::::::::::::: बोलो तुमको गैर लिखे या अपना मीत लिखे,
नीले अम्बर की अगनाई मे तारो के फूल,
मेरे प्यासे होठो पर है अंगारो के फूल,
इन फूलो को आखिर अपनी हार या जीत लिखे,
कोई पुराना सपना दे दो और कुछ मीठे बोल,
लेकर हम निकले है अपनी आखो के कश खोल,
हम बंजारे प्रीत के मारे क्या संगीत लिखे,
शाम खडी है एक चमेली के प्याले मे शबनम,
जमुना जी की उंगली पकडे खेल रहा है मघुबन,
ऐसे में गंगा जल से राघा कि प्रीत लिखे......................
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