@ 2013 बस यादें सिर्फ यादें ...............
जब याद का किस्सा खोलूँ तो,
कुछ लोग बहुत याद आते है,
मैं गुजरे पल को सोचूँ तो,
कुछ लोग बहुत याद आते है,
अब जाने कौन सी नगरी में,
आबाद है जाकर मुद्धत से,
मैं देर रात तक जागूँ तो,
कुछ लोग बहुत याद आते है,
कुछ बातें थी फूलो जैसी,
कुछ लहजे थे खुशबु जैसे,
मैं सारे चमन मे टहलूँ तो,
कुछ लोग बहुत याद आते है,
वो पल भर की नाराजगियाँ,
और मान भी जाना पल भर में,
अब खुद से भी रूठूँ तो,
कुछ लोग बहुत याद आते है...................
::::::::::::नितीश श्रीवास्तव ::::::::::::: कुछ लोग बहुत याद आते है,
मैं गुजरे पल को सोचूँ तो,
कुछ लोग बहुत याद आते है,
अब जाने कौन सी नगरी में,
आबाद है जाकर मुद्धत से,
मैं देर रात तक जागूँ तो,
कुछ लोग बहुत याद आते है,
कुछ बातें थी फूलो जैसी,
कुछ लहजे थे खुशबु जैसे,
मैं सारे चमन मे टहलूँ तो,
कुछ लोग बहुत याद आते है,
वो पल भर की नाराजगियाँ,
और मान भी जाना पल भर में,
अब खुद से भी रूठूँ तो,
कुछ लोग बहुत याद आते है...................
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