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Wednesday, 21 August 2013

जिनसे हम छूट गये
















@ 2009 बस यादें सिर्फ यादें ...................
जिनसे हम छूट गये,
अब वो जहान कैसे है,
शाख ए गुल कैसे है,
खुशबु के मकान कैसे है,
ऐ सबा तू तो उघर से ही गुजरती होगी,
उस गली में मेरे पैरो के निशाँ कैसे है,
पत्थरो वाले वो इन्सान,
वो बेहिस दर ओ बाम,
वो मकीं कैसे है,
शीशे के मकान कैसे है,
कहीं शबनम के शिगूफे,
कहीं अंगारो के फूल,
आके देखो मेरी यादो के जहान कैसे है,
ले के घर से जो निकलते थे जुनून की मशाल,
इस जमाने मे वो साहिब ए नजराँ कैसे है,
याद उनकी हमे जीने न देगी राही,
दुश्मन ए जान वो मसीहा नफ्साँ कैसे है..................
::::::::::::नितीश श्रीवास्तव :::::::::::::

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