@ 2013 बस यादें सिर्फ यादें ...............
जजबाते समंदर था,
या दौलते उफान है,
आखिरी सफर में उठा,
जो रिशतो का तुफान है,
दावेदारो की कतार पे,
आनन्द मुस्कुरा रहा,
लगे शायद जहान वालो को,
मायने समझा रहा,
यू ही चले आये थे,
यू ही चले जाना है,
ये जमीं नही किसी की,
दुनिया मुसाफिर खाना है,
कल था आर्शीवाद मेरा,
कल और का हो जाना है,
सूरत लेकर आये थे,
सीरत लेकर जाना है...........
::::::::::::नितीश श्रीवास्तव :::::::::::::या दौलते उफान है,
आखिरी सफर में उठा,
जो रिशतो का तुफान है,
दावेदारो की कतार पे,
आनन्द मुस्कुरा रहा,
लगे शायद जहान वालो को,
मायने समझा रहा,
यू ही चले आये थे,
यू ही चले जाना है,
ये जमीं नही किसी की,
दुनिया मुसाफिर खाना है,
कल था आर्शीवाद मेरा,
कल और का हो जाना है,
सूरत लेकर आये थे,
सीरत लेकर जाना है...........
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