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Thursday, 22 August 2013

वो बचपन के दिन बहुत याद आये

















@ 2013 बस यादें सिर्फ यादें ...............
वो बचपन के दिन बहुत याद आये,
वो कडी घूप में जाकर,
मैदानो में खेलना,
जो दिल में है,
वो हर एक बात का कहना,
पापा के ना पढने पर,
वो डाँट का सहना,
दोस्तो के घर की गलियो में,
वो सारी सारी रात का रहना,
रोके कभी ना रूकते,
ये पल जो बीत जाये,
वो बचपन के दिन बहुत याद आये,
आज सोचता हूँ,
तो मुस्कुरा जाता हूँ,
दोस्तो के साथ वो कट्टी बट्टी के खेल को,
याद करते रह जाता हूँ,
आज गिले शिकवे को दिल में पालता हूँ,
चाह कर भी मेरे यार से बात करके,
दिल साफ ना रख पाता हूँ,
भाई बहन के साथ छोटी छोटी बातो पे लडना झगडना,
क्रिकेट में आउट होते ही बैट लेकर सीघा घर को चलना,
आज भी देखता हूँ,
बच्चो को साथ मे खेलते झगडते हुये,
सोचता हूँ खवाहिश आखिर हमे ही क्यो है,
इस दुनिया के मेले मे इतने अकेले हुये,
काश वो बचपन के दिन मै फिर से जी जाऊँ,
इस मसरूफियत की दुनिया में वापस ना आऊँ,
ये वो यादे है,
जो दिल से कभी ना मिट पाये,
वो बचपन के दिन बहुत याद आये,
आज के दौर में हमे कुछ भी मिल जाये,
हम खुश नही होते,
दुनियादारी और जमींदारी के झमेलो मे है,
हम अपने आप को है खोते,
पहले फुरसत की नींद थी,
आज खुली आखो से भी है हम सोते,
कभी तो दिल ही दिल मे है हम रोते..............
::::::::::::नितीश श्रीवास्तव :::::::::::::

1 comment:

  1. मेरी पोस्ट को सामिल करने के लिए बहुत आभार...................

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