@ 2013 बस यादें सिर्फ यादें ...............
चाहे जिन्दगी कल किसी भी मोड पे ले जाये,
लेकिन ये दोस्त हमेशा याद आयेगें,
चाहे कल कितनी भी खुशी मिल जाये,
लेकिन वो पल हमेशा रूलायेगें,
वो यारो का मिलना,
वो मिल के झगडना,
वो साथ में खाना,
वो रेस लगाना,
वो सीटियाँ मारना,
फिर जल्दी से भागना,
वो कपडो की अदला बदली,
वो रात भर भटकना,
वो एक गाडी पर चार का लटकना,
वो सिगरेट के छल्ले,
वो कैन्टीन के हल्ले,
वो टीचर्स की क्लास लेना,
वो कमीनो की सेना,
शायद हम वो दिन फिर कभी नही जी पायेगें,
वो पल हमें बहुत रूलायेगें................. .
लेकिन ये दोस्त हमेशा याद आयेगें,
चाहे कल कितनी भी खुशी मिल जाये,
लेकिन वो पल हमेशा रूलायेगें,
वो यारो का मिलना,
वो मिल के झगडना,
वो साथ में खाना,
वो रेस लगाना,
वो सीटियाँ मारना,
फिर जल्दी से भागना,
वो कपडो की अदला बदली,
वो रात भर भटकना,
वो एक गाडी पर चार का लटकना,
वो सिगरेट के छल्ले,
वो कैन्टीन के हल्ले,
वो टीचर्स की क्लास लेना,
वो कमीनो की सेना,
शायद हम वो दिन फिर कभी नही जी पायेगें,
वो पल हमें बहुत रूलायेगें.................
चाहे जिन्दगी कल किसी भी मोड पे ले जाये,
लेकिन ये दोस्त हमेशा याद आयेगें,
चाहे कल कितनी भी खुशी मिल जाये,
लेकिन वो पल हमेशा रूलायेगें,
वो यारो का मिलना,
वो मिल के झगडना,
वो साथ में खाना,
वो रेस लगाना,
वो सीटियाँ मारना,
फिर जल्दी से भागना,
वो कपडो की अदला बदली,
वो रात भर भटकना,
वो एक गाडी पर चार का लटकना,
वो सिगरेट के छल्ले,
वो कैन्टीन के हल्ले,
वो टीचर्स की क्लास लेना,
वो कमीनो की सेना,
शायद हम वो दिन फिर कभी नही जी पायेगें,
वो पल हमें बहुत रूलायेगें................. .
::::::::::::नितीश श्रीवास्तव ::::::::::::: लेकिन ये दोस्त हमेशा याद आयेगें,
चाहे कल कितनी भी खुशी मिल जाये,
लेकिन वो पल हमेशा रूलायेगें,
वो यारो का मिलना,
वो मिल के झगडना,
वो साथ में खाना,
वो रेस लगाना,
वो सीटियाँ मारना,
फिर जल्दी से भागना,
वो कपडो की अदला बदली,
वो रात भर भटकना,
वो एक गाडी पर चार का लटकना,
वो सिगरेट के छल्ले,
वो कैन्टीन के हल्ले,
वो टीचर्स की क्लास लेना,
वो कमीनो की सेना,
शायद हम वो दिन फिर कभी नही जी पायेगें,
वो पल हमें बहुत रूलायेगें.................
वाह सुंदर , बीते दिन याद आ गए
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज वृहस्पतिवार (22-06-2013) के "संक्षिप्त चर्चा - श्राप काव्य चोरों को" (चर्चा मंचः अंक-1345)
पर भी होगी!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'