Followers

Tuesday 1 October 2013

शाम को दबे पाऔं घर जा के














@ 2013 बस यादें सिर्फ यादें ...............
शाम को दबे पाऔं घर जा के
यूं रोया फिर मुस्कुरा के,
हर आसु को नज़रों से बचा के
यूं रोया फिर मुस्कुरा के,
अब समझा ज़िंदगी को सब कुछ लुटा के
यूं रोया फिर मुस्कुरा के,
::::::::::::नितीश श्रीवास्तव :::::::::::::

No comments:

Post a Comment