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Saturday 12 October 2013

तुम्हे अपनी ज़िंदगी बनाना चाहते है






















@ 2013 बस यादें सिर्फ यादें ...............
तुम्हे अपनी ज़िंदगी बनाना चाहते है
मेरी सांसो में आकर मिल जाओ तुम 
तुम्ही फूल मेरे जीवन की बगिया का
मेरे दिल में आकर खिल जाओ तुम 
तुम्हारी इनायत है ,के अभी मैं जिंदा हूँ
मेरी धड़कन में आकर समा जाओ तुम 
तुम्हारा नाम सदा गुनगुनाती रहती हूँ
मेरी होठों का संगीत बन जाओ तुम 
तुम्हे इस जिगर में जान बनाया है
मेरी काया में आकर ठहर जाओ तुम
तुम्हारी इबादत आजकल मैं करती हूँ
मेरी दुआ आकर कबुल कर जाओ तुम
तुमसे ही मेरे जीवन के रेशम तार जुड़े
मुझसे आकर गठबंधन कर जाओ तुम
तुम्हे मेरी शब्दो की भावना में लिख दू
अब काग़ज़ पर उतर कर आ जाओ तुम ........................
::::::::::::नितीश श्रीवास्तव :::::::::::::

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