@ 2013 बस यादें सिर्फ यादें ...............
यूही शाम ढलते तेरा चुपके से आना
परदे के पीछे खड़ी होकर मासूम मुस्कुराना
चाय का लुत्फ़ लेता अख़बार में खोया मैं
हवाओ संग लफ़्ज़ों का कानो में गुनगुनाना
हक़ीक़त थी तुम कभी,आज वक़्त का साया हो
याद बहुत आए तेरा दिल पे दस्तक दे जाना................
::::::::::::नितीश श्रीवास्तव :::::::::::::
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