@ 2013 बस यादें सिर्फ यादें ........................
ये अकेलापन....
आज का मेरा ये अकेलापन
पर मैं खुद को तन्हा नहीं मेहसूस करता
तुम आज मुझसे बोहूत दूर हो,
पर मैं तन्हा नहीं हून.
क्यूं की मेरे साथ है तुम्हारी यादें,
तुम्हारे साथ होने का एहसास...
जो की इस कमरे के हर चीज़ मे बसा है.
मेरे साथ है तुम्हारे स्पर्श का सुख...
जो मेरे रों रों मे यून ही रचे है.
और इन सब से परे...
मेरे साथ है तुम्हारे होने का आभास ...
तुम्हारा अस्तित्वा....जो की
मेरे शरीर के पोर पोर मे है
मेरे रक्त के हर कर मे है
और है तुम्हारा संग संग चलने का एहसास
जो की मुझे और तुम्हे
'मैं ' और 'तुम' ना होकर
'हम' बना दिया !............................
::::::::::::नितीश श्रीवास्तव ::::::::::::
ये अकेलापन....
आज का मेरा ये अकेलापन
पर मैं खुद को तन्हा नहीं मेहसूस करता
तुम आज मुझसे बोहूत दूर हो,
पर मैं तन्हा नहीं हून.
क्यूं की मेरे साथ है तुम्हारी यादें,
तुम्हारे साथ होने का एहसास...
जो की इस कमरे के हर चीज़ मे बसा है.
मेरे साथ है तुम्हारे स्पर्श का सुख...
जो मेरे रों रों मे यून ही रचे है.
और इन सब से परे...
मेरे साथ है तुम्हारे होने का आभास ...
तुम्हारा अस्तित्वा....जो की
मेरे शरीर के पोर पोर मे है
मेरे रक्त के हर कर मे है
और है तुम्हारा संग संग चलने का एहसास
जो की मुझे और तुम्हे
'मैं ' और 'तुम' ना होकर
'हम' बना दिया !............................
::::::::::::नितीश श्रीवास्तव ::::::::::::
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