@ 2013 बस यादें सिर्फ यादें ...............
कब तक तू ऐ मन डरता रहेगा ?
पकड़कर बांह किसी की चलता रहेगा,
कब तक ?
आखिर कब तक ?
कभी तो देख निकलकर बाहर,
कभी तो चल अपने दम पर,
कभी तो टकरा मुसीबतों से अकेले ,
यूँ पथ पर अकेले
आखिर कब तक
अकेले पथ पर आखिर कब तक चलता रहेगा ,
डरकर इस दुनियां से,
यू हीं जीता रहेगा
सोच आखिर कब तक ?
अब क्योकि तू नहीं रहा लिए नन्हा छुटपन
बड़ा हो गया है तू ,
इसलिए....सोच....
लड़ हर विपदा से,
खुद कर फैसला अपने जीवन का ,
तब कही भय दूर होगा भीतर तेरे बैठे मन का
वक्त रहते सोच वरना फिर पछतायेगा .....................
::::::::::::नितीश श्रीवास्तव :::::::::::::
sundar prastuti ..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर .
ReplyDeleteनई पोस्ट : रावण जलता नहीं
नई पोस्ट : प्रिय प्रवासी बिसरा गया
विजयादशमी की शुभकामनाएँ .
bahut sundar prastuti hai..
ReplyDeletemere blog par bhi aapka swagat hai..
ek baar awashy padharen..
http://iwillrocknow.blogspot.in/