@ 2013 बस यादें सिर्फ यादें ........................
बहुत दिनो के बाद,
जब मैं आया अपने गाव मे,
निगाहो को यकीन ना था,
की ऐसा मोड आयेगा,
समय की धूप छाव मे,
ना आम के वो पेड़ है,
ना मधभरी जवानिया,
ना झूला कोई डाल पर,
ना प्यार की कहानिया,
ना मस्तिया फजाओ मे,
ना रागनी घटाओ मे,
बहुत दिनो के बाद .....
ना पनघातो पे सोखिया,
ना हुस्न पे निखार है,
ना खेत की मुंडेर पे,
किसी को इंतेज़ार है,
ना दो दिलो की धड़कने,
है पीपलो की छाव मे,
बहुत दिनो के बाद .....
ना नैन बाड़ चलते है,
किसी हसी जवान पर,
ना कोई राधा नाचती है,
मुरलीयो की तान पर,
ना इश्क़ मे है बागपन,
ना सादगी अदाओ मे,
बहुत दिनो के बाद .....
निगाहो को यकीन ना था ,
की ऐसा मोड आयेगा .....................
::::::::::::नितीश श्रीवास्तव ::::::::::::
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