@ 2013 बस यादें सिर्फ यादें ...............
लिख रहा खाली दिल आज जाने क्या लिखेगा
मन में ना कोई है , जाने दर्द किसका भरेगा
उठकर सोच रहा अब , जाने किसको कागज पर आज उकेरेगा
कलम डूबा कर स्याही में , बढ़ रहा है कागज की ओर
जाने किसको आज फिर से जीवित करेगा
देखा उसे मैने और वो लिखते ही रो पडा
पहला अक्षर 'तुम' था और उसे पढ़कर ही वो रो पड़ा
आंशुओ के सेलाब में डूबते हुए लिखा कुछ उसने
पास में भरा पैमाना उठा कर आज कई दिनों बाद चखा उसने
उठ कर गया लड़खड़ाते हुए कुछ ढूंड रहा है शायद
कुछ पाकर झूम रहा है खिलखिलाते हुए
पुरानी डायरी मिली उसे पढ़ रहा है शरमाते हुए
उठा कलम देख आसमान में लिखना जब चालू किया उसने
"है प्रभु !
मै चला अपने मुकाम पर अब कोई आये तो कह देना
लिखता था यहाँ बाबा कोई अब देश से
हो गया देश निकाला.....................
::::::::::::नितीश श्रीवास्तव :::::::::::::
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