@ 2013 बस यादें सिर्फ यादें ........................
जरा तुम शाम ढलने दो,
के सूरज को तो जाने दो,
परिंदो को तो उडने दो,
जरा तुम शाम ढलने दो,
अभी तो आसमान का रंग निखरेगा,
अभी खुसबू भी बिखरेगी,
अभी मौसम भी बदलेगा,
अभी तो चाँद निकलेगा,
अभी मंजर बदलने मे जरा सी दर बाकी है,
अभी दिल के सम्भलने मे जरा सी दर बाकी है,
चले जना,
अभी दो चार पल दो चार सदिया साथ रहने दो,
मुझे आज कुछ कहने दो,
बस अपने पास रहने दो ................................
::::::::::::नितीश श्रीवास्तव :::::::::::
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