@ 2013 बस यादें सिर्फ यादें ..............
कितने याद आते हो कभी
और लगते हो बहोत अपने से
कुछ बारिश में भीगे वो लम्हे
जब बरसते है मन के आंगन पर,
चलती हूँ मैं भी
खुली हरियाली पर दामन में
यादों को समेट कर
महसूस कर लेती हूँ उन्हे कुछ पल
निगाहों से निहार कर
उछाल देता हूँ,दव की बूंदों संग
मिल जाने के लिए
आज में वापास आने के लिए,
जानता जो हूँ तुम बहुत दूर हो अब कही………..
::::::::::::नितीश श्रीवास्तव ::::::::::::
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