@ 2013 बस यादें सिर्फ यादें ........................
तुम्हारी यादों में अक्सर
कुछ चीज़ें भूल जाता हूँ...
अब तुम्हारे हिस्से का शक्कर भी
चाये में डाल के पी जाता हूँ...
तुम्हारी यादों में अक्सर...
तुम्हारा हाथ खयालों में थाम के
बंद आँखों में रास्ता पार कर जाता हूँ...
तुम्हारी यादों में अक्सर
कुछ चीज़ें भूल जाता हूँ...
जब भी रोना चाहूं,तुम्हे तक़लीफ़ ना हो सोचके
हसने की कोशिश में लग जाता हूँ...
तुम तो रुलाने भी कहाँ आते हो अब,
चलते चलते फिर भी कहीं रुक जाता हूँ...
तुम्हारी यादों में अक्सर....
घर लौटते ही बेल दबाके
किस सोच में अब भी रह जाता हूँ...
तुम्हारी यादों में अक्सर
कुछ चीज़ें भूल जाती हूँ...
दिन भर कहन्यियां पढ़ता था तो
तुम कितना टांग किया करते थे...
अब कोई टोकता नहीं मगर
कहन्यियां कहाँ पढ़ पाता हूँ...
तुम्हारी यादों में अक्सर....
मुझे सजधजके देखना
तुम्हे अच्छा लगता था,
ज़माने की रस्मे तोडके
तुम्हारे रंगों में साज जाता हूँ...
तुम्हारी यादों में अक्सर
कुछ चीज़ें भूल जाता हूँ...
जब भी कोई मज़ेदार किस्सा सुनूँ,
हंसते हंसते शायद भूल पाता हूँ,
अकेले हंस रहा था सोच के
एक दफा फिर रोने लग जाता हूँ...
तुम्हारी यादों में अक्सर
कुछ चीज़ें भूल जाता हूँ...
ज़िंदगी तो जारी है अब भी मगर,
तुम्हारे बिना महसूस कहाँ कर पाता हूँ...
ज़िंदा हून फिर भी अक्सर...
जीना भी भूल जाता हूँ...
तुम्हारी यादों में.................................
::::::::::::नितीश श्रीवास्तव ::::::::::::
तुम्हारी यादों में अक्सर
कुछ चीज़ें भूल जाता हूँ...
अब तुम्हारे हिस्से का शक्कर भी
चाये में डाल के पी जाता हूँ...
तुम्हारी यादों में अक्सर...
तुम्हारा हाथ खयालों में थाम के
बंद आँखों में रास्ता पार कर जाता हूँ...
तुम्हारी यादों में अक्सर
कुछ चीज़ें भूल जाता हूँ...
जब भी रोना चाहूं,तुम्हे तक़लीफ़ ना हो सोचके
हसने की कोशिश में लग जाता हूँ...
तुम तो रुलाने भी कहाँ आते हो अब,
चलते चलते फिर भी कहीं रुक जाता हूँ...
तुम्हारी यादों में अक्सर....
घर लौटते ही बेल दबाके
किस सोच में अब भी रह जाता हूँ...
तुम्हारी यादों में अक्सर
कुछ चीज़ें भूल जाती हूँ...
दिन भर कहन्यियां पढ़ता था तो
तुम कितना टांग किया करते थे...
अब कोई टोकता नहीं मगर
कहन्यियां कहाँ पढ़ पाता हूँ...
तुम्हारी यादों में अक्सर....
मुझे सजधजके देखना
तुम्हे अच्छा लगता था,
ज़माने की रस्मे तोडके
तुम्हारे रंगों में साज जाता हूँ...
तुम्हारी यादों में अक्सर
कुछ चीज़ें भूल जाता हूँ...
जब भी कोई मज़ेदार किस्सा सुनूँ,
हंसते हंसते शायद भूल पाता हूँ,
अकेले हंस रहा था सोच के
एक दफा फिर रोने लग जाता हूँ...
तुम्हारी यादों में अक्सर
कुछ चीज़ें भूल जाता हूँ...
ज़िंदगी तो जारी है अब भी मगर,
तुम्हारे बिना महसूस कहाँ कर पाता हूँ...
ज़िंदा हून फिर भी अक्सर...
जीना भी भूल जाता हूँ...
तुम्हारी यादों में.................................
::::::::::::नितीश श्रीवास्तव ::::::::::::
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