@ 2013 बस यादें सिर्फ यादें ........................
गुज़रे दिनो की बीती बाते याद रखता हु,
खुसियो मे भी अश्को की बाराते साथ रखता हु,
मैं अब अक्सर तन्हा होकर भी तन्हा नहीं रेहता,
जहां भी राहू तेरी यादे साथ रखता हु,
कैसे भूल सकता हु मैं पता अपने घर का,
तेरे कदमो के निशान तेरी आंखे साथ रखता हु,
वो तेरा मुझसे लड़ना रूठना फिर खुद ही मान जाना,
इन शरारतो मे छुपी थी जो मोहब्बत मैं साथ रखता हू,
चले थे हम हाथ डाले हाथ मे,
वो सब राश्ते सब राहे तेरे बिछड़ने के बाद भी साथ रखता हु.................
::::::::::::नितीश श्रीवास्तव ::::::::::::
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