@ 2013 बस यादें सिर्फ यादें ...............
तुमसे जो बिछड़े, कुछ और आवारा हम हो गए
उम्मीद थी तुमसे हमारी कश्ती को मुकाम की
तुम तो न हुए,चंद कश्तियो के किनारा हम हो गए
कुछ न हुआ हासिल इश्क की मिठास से
अब क्यू हो शिकवा जो पानी खरा हम हो गए
मुंतजर थे मंजिल बस तुमको ही समझ के
जब हुआ इल्म बस्ती के दोराहा हम हो गए.................
::::::::::::नितीश श्रीवास्तव :::::::::::::
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