@ 2013 बस यादें सिर्फ यादें ........................
ज़िंदगी ने आज मुझे उन राहों पर ला खड़ा किया
जहां मेरी ज़िंदगी के सुनेहरे पल खत्म हुए ,
पर आज फिर उन राहों पर बस मे दोस्तों के साथ शोर-गुल करते हुए
स्कूल जाने की चाह मुझे आज भी है...
वो असेंब्ली मे मस्ती करने और लेट आने की चाह मुझे आज भी है
56 भोग भी आज फीके लगते हैं,
पर वो सिंपल रोटी सब्ज़ी दोस्तों के साथ खाने की चाह मुझे आज भी है...
यूं तो मज़ाक हम बहुतो का उड़ा चुके,
पर क्लास मे आपना ही मज़ाक बनाने की चाह मुझे आज़ भी है
आजकल त्योहारों मे, ना जाने खुशी कहाँ खो गई है
वो क्लासस मे बॉम्ब फोड़ने की चाह मुझे आज भ़ी है
बस एक बार और स्कूल लाइफ जीने की चाह मुझे आज भी है ...............
::::::::::::नितीश श्रीवास्तव :::::::::::
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