समंदर किनारे बैठकर
@ 2013 बस यादें सिर्फ यादें ..............
समंदर किनारे बैठकर
सूरज की किरणो से
कुछ ख्वाब बुने थे अजनबी
आज शाम रंगीन आसमां के नीचे
जब रेत हाथों में ली
लहेरें उन्हे आकर बहा ले गयी
अचरज में है मन तब से
क्या तुम तक पहुँच पाएंगे वो……..
::::::::::::नितीश श्रीवास्तव :::::::::::::
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