@ 2013 बस यादें सिर्फ यादें ........................
मुझे बस इतना केहना है,
कभी मैं याद आऊँ तो,
कभी तन्हाई की रातैं,
तुम्हैं ज्यादा सताएं तो,
कभी तितली ना बोले तो,
और जुगनू लौट जाये तो,
कभी जब दिल भी भर जाये,
कोई जब सुन ना पाये तो,
अगर सब दोस्त साथी भी,
जो तुम से रूठ जाएं तो,
कभी जब खुद से लड़ लड़ कर,
थकन से चूर हो जाओ,
कभी चाहते हुए भी खुद,
अकेले रो ना पाओ तो,
अपनी आँखों को बंद करना,
मुझे आवाज़ दे देना,
और फिर मेरे तसव्वुर से,
जो चाहो बातैं केह देना,
मेरे कंधे पे सर रख कर
तुम जितना चाहो रो लेना,
फिर खुद मैं जब लौट जाओ तो,
उस ही दुनिया चले जाना,
मगर बस इतना केहना है ,
के जब भी दुख या खुशियों मैं
हमे दिल से पुकारो गे,
हमे तुम साथ पाओ गे ……...............
::::::::::::नितीश श्रीवास्तव ::::::::::::
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